जन्म और मृत्यु हमेशा अनजान में होती है जिस पर न आप का वश है और न मेरा,
परन्तु कर्म चक्र चलता ही रहता है जन्म से पहले और मृत्यु के वाद भी,
वर्तमान कर्म तो चल ही रहा है,
क्रिया और प्रतिक्रिया का नियम है कर्म चक्र,
यह गुरुत्वाकर्षण के नियम जैसा अटल है,
कभी सोचना भी मत कि इससे तुम बच पाओगे,
जैसे बोओगे बैसा ही काटोगे,
फिर देर किस बात की,
मन-वचन-तन से अच्छा करो, सब कुछ अच्छा ही पाओगे।
जय श्री कृष्णा
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