तरसु तेरे करीब आने को..
तेरे दीदार को तरसु,
तरसु हर रात प्यास बुझाने को..
फ़िर एक रात आग जलने को,
तरसु तेरे जिस्म कुरेदने को..
तरसु तेरे होंठ छूने को,
हर एक रात तेरा जिस्म नोचु..
तरसु तुझ संग भीग जाने को,
केसे केसे न तड़पुं..
केसे केसे न तरसु,
ये जान तरस रही है तुझ संग..
तरस रहीं हूँ तुझ संग आग बुझाने को,
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