आवाज तो हमने दी मगर उसने कोई जबाब नहीं दिया,
एक ज़माना बीत गया है इस सिलसिले को तो शायद उसने हमे भुला दिया,
खामोश हो चुके हैं वो लब जिन पर हर वक्त मेरा नाम था,
कैसे हो गया सनम बेवफ़ा और क्या यही मेरे इश्क़ का अंजाम था,
कभी फासला ना दे खुदा किसी को वर्ना मुहब्बत का मतलब बदल जाता है,
जिन्हें करते रहो बेपनाह मुहब्बत कभी कभी वो बेपरवाह यार बदल जाता है.....
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