कि गांव उजड़ने का मौसम आ रहा है दोस्तों , अब फिर सच्ची मोहब्बत के नाम पर कपड़े उतरेंगे , इश्क के झूठे वादे करके अब सभी बिस्तर पकड़ेंगे , और जो इस वक्त , जिस्म देने से कर दिया इनकार , तो फिर आंसुओं से , ये रिश्ते भी बिछड़ेंगे..!!!@
हम तो पहले से ही आपकी यादों में घायल थे, हाय! ये कम्बखत फरवरी का महीना, अब तो अलग ही कहर ढा रहा है हम पर, तड़पा रहा है, तरसा रहा है, बहका रहा है, हाय! ये महीना तो जुल्म कर रहा है हम पर...! — % &