~~~~~~~मन हृदय ~~~~~~~~दिल
मन स्थिर होता है प्रेम मैं
मन शांत होता है प्रेम मैं
मन प्रफुल्लित रहता है प्रेम मैं
मन जवां रहता है प्रेम मैं
मन एकांत मांगता है प्रेम मैं
मन अलिप्त रहता है संसारी भोगों से
मन ईश्वर से सम्बंध बनता है प्रेम मैं
मन जीना सिखाता है प्रेम मैं
मन बंध जाता है प्रेम मैं
मन एक का हो जाता है प्रेम मैं
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