कुछ आंँखों में दिखा जो तुमने अब तक बताया नहीं,
प्यार था या था खुदा, जो भी था, सब लगा मुझे सही,
बस एक बार बैठो संग मेरे, तुम्हें इक चीज़ बताता हूंँ,
तुम्हारी आंँखों की गहराई है इतनी की मैं रुक गया वहीं।।
आंँखें है ये या जादू का दूसरा नाम है ये,
लगता मुझे ये कुदरत का कोई इनाम है ये,
खर्च न करो तुम बेफिज़ूल इन्हें सब पर,
कब दीदार होगा इनका, मेरा अब ईमान है ये।।
इन आंँखों की कसम अब और कुछ नहीं देखूंँगा,
सब दिखा मुझे इनमे सनम, और कुछ नहीं देखूंँगा,
याद रखना की ऐसा किसी ने तुमसे बोला है,
कोई और दिखे न दिखे, अब इन्हें मैं ही देखूंँगा।।
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