इंतज़ार में फिर एक रात कट गई
सुबह हुई और नई उम्मीद भर गई
मैने रात को फाडे तेरे यादों के खत
सुबह होते ही टुकड़ो को समेट गई
रात को बहा जो अश्को का झरना
सुबह किनारे उसके मुस्कान खिल गई
रात को बहुत कोसा तकदीर को
सुबह हथेली की रेखा नई सी बन गई
रात के अंधेरे में कुछ गायब सा था
सुबह सवेरे से हर खोई चीज़ मिल गई
उफ्फ!!!! ये रात फिर इंतज़ार में कट गई
ये सुबह ही है जो हर रोज़ मुझमे नई उम्मीद सी भर गई
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