खयालों में बसा नगर,
हर वो राह, सफर, हमसफर,
जो भी हैं, जैसा हैं, हैं साफ, हैं बेहतर,
जैसा नज़ारा, वैसा नज़रिया, वो ही एक सी नज़र ।
हकीक़त के रास्तों पर चल पाना कठिन,
मिलती पल पल दगाबाजी, सह पाना कठिन,
ख़ुद धोखें में रहना, रखना औरों को भी धोखे में,
भीतर जार जार रोना, बाहर हरदम मुस्कुराना कठिन ।
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