"तुम बूंद-बूंद टपको मुझ पे"
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जिस बगिया के तुम मालिक हो
उस बगिया में मैं वृक्ष बनूं,
गर बागों में तुम वृक्ष बनो
तो उस वृक्ष की मैं बस डाल बनूं,
गर डाल बनो तुम कभी कहीं
तो उस डाल कि मैं बस पात बनूं,
गर पात बनो तुम कभी कहीं
तो मैं उस पात पे ओस की बूंद बनूं,
गर तुम पात पे ओस की बूंद बनो
तो मैं उस वृक्ष के नीचे ज़मीं बनूं,
तुम बूंद-बूंद टपको मुझ पे
मैं तुमको अपने अंदर लूं....💞💞💞
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