स्वावलोकन (introspection)
साधारण सी बात है, आओ कह दी जाय
बात पुरानी भूल कर , गले लगाया जाय
किस्मत पर जो रोष है, किया किनारे जाय
क्यों बेमतलब बात से, रात बिगाड़ी जाय
सबके अपने दर्द हैं, सबके अपने तर्क
अपवादों में हैं घिरे, किसको पड़ता फ़र्क़
रात हो गयी ख़त्म अब, चलो उतारी जाय
छत पर बासी चांद बस, तारों में घुल जाय
मैं ही मैं बिखरा हुआ, आंगन में हर ओर
गिरेबान में खांसता, अंतर्मन का शोर
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