मैं सब समझता हूं...
अक्सर भीड़ में खुद को खुद से बातें करते देंखता हूं क्योंकि मैं सब समझता हूं...!!!!
अकेलापन मुझे भी रोज मुझे काटने को दौड़ता है पर फिर भी तुम्हें अकेला नहीं छोड़ा करता हूं क्योंकि मैं सब समझता हूं...!!
अक्सर रोता है एक शख्स मेरे आगे, रोज आईने से उसे देखा करता हूं, क्योंकि मैं सब समझता हूं...!!
देख ये तमाशा जबान मचलती है दिल तड़पता है पर क्या करूँ कुछ नहीं कर सकता हूं क्योंकि मैं सब समझता हूँ..!!!
छोड़ देते है लोग अक्सर जब मिल जाते है लोग कुछ बेहतर फिर जब जाता हूँ अपनी तन्हाइयों से मिलने, क्योंकि मैं सब समझता हूं...!!
तो मारती है वो भी ताना ये कहकर कि आ गए ना यही उनसे भी मिलकर, फिर मुस्कुराकर कर मेरा वही जवाब की कोई नहीं, थी उनकी भी मजबूरी मैं सब समझता हूं..!!!
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