जुदाई में तेरे अब बुझने लगा है ये दिल,
नैना भी बरस पड़े है तेरे ख्वाबों-खयालों में,
एक अरसे से हर मन्दिर माँगी हैं मन्नत मैने,
दुआयें भी की हैं और फरियाद भी लगाई,
तू ही बता अब और किससे दुआएं करूँ मैं,
हथेली खोलूं अब और किसके आगे मैं अपनी,
अगर कोई खुदा है तो इतना मजबूर क्यूँ है वो,
बिछ्ड़े दिलों को वो क्यूँ इस क़दर तड़पाए,
दो दिलों को वो क्यूँ अब मिला ना पाए...?
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