तन्हा ही रहना पड़ेगा ,
अब तो सारे ख्वाहिशों की कत्ल हो जाएगी,
तेरे लिए कभी शरद होगी तो कभी बारिश,
और मेरे लिए तो धूप ही रह जाएगी,
यूं तो रातें करवटें वाली होंगी ,
अब नींदों वाली रातें कहा आएंगी ,
तुम मेरे साथ कुछ दूर टहलने निकलो,
वो खुशियों वाली भोर पता नहीं कब आएगी ,
तेरी एक हा के लिए कहीं मेरी उम्र तो छोटी नहीं पड़ जाएगी।
अब तो उलझनों वाली दिन है ,
पता नहीं तेरे साथ वाली दिन कब आएगी ,
यू तो परीक्षा वाली अभी घड़ियां हैं ,
पता नहीं परिणाम वाली पल कब आएगी ,
अब तक तो तुम्हारे सारे वादें हैं मेरे साथ ,
तुम उनको निभाने पता नहीं कब आओगी ,
यूं तो सारे दिन और रात बीत रहे हैं ,
यहां से जाने वाली वो शाम कब आएगी ,
तेरी एक हा के लिए कहीं मेरी उम्र तो छोटी नहीं पड़ जाएगी।।
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