शाम धीरे- धीरे गुज़र गई
लेकिन ये तनहाई कभी कम न हुई..
तुम्हारी याद में मै कहीं गुम हो गई
हर जगह तुम्हे ढूंढते हुए ..
अपने आप मेंही खुदको कोसने लगी..
तुम्हारे साथ बिताए वो पल याद करने लगी
मै बीते कल को कभी भुला ना सकी..
मैने वर्तमान में जीने का प्रयास किया
लेकिन मै अपने भूतकाल को कभी भूल ना पाई
पता नहीं मुझे क्यों नहीं जीने देती ये यादें और तनहाई..
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