QUOTES ON #DHARMA

#dharma quotes

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18 AUG 2019 AT 11:19

"धर्म इंसान के लिए बनाया गया है
इंसान धर्म के लिए नहीं बनाया गया है"

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9 AUG 2019 AT 17:18

"always be honest in your work. and give your total responsibility to the god, to provide a perfect justice for your 'DHARMA' and 'KARMA''......

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2 APR 2020 AT 15:09

रामायण हमें इस बात से अवगत कराती है कि हमें क्या करना चाहिए
महाभारत आपको इस बात से अवगत कराता है कि क्या नहीं करना है
भगवद गीता ने हमें सिखाया है कि कैसे जीना चाहिए

धर्म ग्रन्थ न हिन्दू का है न मुसलमान का
नाही सिख या इसाई का
और न ही पाकिस्तान का न हिंदुस्तान का
यह होते हैं पुरे ब्रह्माण्ड का
जो इंसान को इंसान बनाती है
एक आपस में रिश्ता निभाना ही इंसानियत कहलाती है, और हर धर्म से बड़ा ईमान कहलाती है

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13 NOV 2017 AT 23:37


Cognizance of 'Karma'
placed my heart and soul
on the path of right
'Dharma'.

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21 JUN 2021 AT 12:00

नमाज पढ़ते वक़्त किसी हिंदू की मदद को उठते
एक मुसलमान देखा था
सुनो मैंने धर्म से उपर उठते एक इंसान देखा था

एक सिख को मंदिर में सर झुकाते कहते राम देखा था
मैंने एक रोज हिंदू को बाइबिल में समझते हिंदू धर्म का ज्ञान देखा था

होली पर नाचते और गाते सिखो को बहुत बार देखा था
फिर एक बार ईद मुबारक कहते मैंने हिंदू इंसान देखा था

किसी रोज दिवाली मनाते ईसाइयों का परिवार देखा था
मैंने मुस्लिम को मंदिर देख कहते या अल्लाह देखा था

ना बांटो इंसानियत को धर्म के नाम पर सब एक हैं
मजहब को किनारे रख मैंने तो बस इंसान देखा था









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2 APR 2020 AT 10:56

राम शब्द नहीं परिभाषा है
सबको जिसमे स्वीकारा जाता है

चरणों में मन समर्पण जो करता है
केवल वही राम को पाता है

मूक हो सब ग्रंथ नेति-नेति अरू ज्ञानातीत कहा जाता है
अंश-अंश में रमा राम केवल विरला ही जान पाता है

राम-राम कहकर 'सुमित' अनंत सुख पाता है
छोड़ चरण-कमल-रघुबर के मन-भँवरा चैन कहाँ पाता है

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मैं प्रेम हूँ,
मैं कोई धर्म नहीं जानता !

मैं प्रेम हूँ,
मैं जात नहीं पहचानता !

मैं प्रेम हूँ,
मैं रिवाज़ नहीं समझता !

मैं प्रेम हूँ,
मैं ऊँच नीच नहीं मानता !

मैं प्रेम हूँ,
मैं बस हृदय में वास करता!!

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18 OCT 2020 AT 21:38

KARMA TALKS.....


Whatever you will do
Karma will send it back to you

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14 JAN 2022 AT 23:44

एक ईश्वर मानने वाले धर्मों की अपेक्षा अनेक देवता मानने वाले धर्म हज़ार गुना उदार रहे हैं। उनके ईश्वरों की संख्या अपरिमित होने से औरों का भी समावेश आसानी से हो सकता था किंतु एक ईश्वरवादी वैसे करके अपने अकेले ईश्वर की हस्ती को ख़तरे में नहीं डाल सकते थे।

आप दुनिया के एक ईश्वरवादी धर्मों के पिछले दो हज़ार वर्षों के इतिहास को देख डालिए, मालूम होगा कि वह सभ्यता, कला, विद्या, विचार-स्वातन्त्र्य और स्वयं मनुष्यों के प्राणों के सबसे बड़े दुश्मन रहे हैं।

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15 JAN 2022 AT 14:53

यह मानव जगत प्रतिक्षण परिवर्तित हो रहा है। ऐसी स्थिति में स्थिरतावादी धर्म हमारे कभी सहायक नहीं हो सकते। हमारी समस्याओं को और उलझाना, प्रगति विरोधियों का साथ देना ही धर्मों का एकमात्र उद्देश्य रह गया है।

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