वो जीवनरूपी पौधे को सींचती है लगा के सीने से,
उसकी डाँट-प्यार की धूप-छाँव से मजा है जीने में।।
ज़न्नत में भी क्या होगा सुकूँ तेरे आँचल से बढ़कर,
गोद में तेरी वो सुख है जो लोग ढूँढते हैं मदीने में।।
मेरे लिए कुछ करना जिसे कभी बोझ नहीं लगता,
निःस्वार्थ प्रेम झलकता है जिसके माथे के पसीने में।।
तुझसे दूर रहने का ख़याल भी भला कैसे आए माँ,
तेरे नाम से ही तो धड़कता है दिल मेरे सीने में..♡
-