आओ सुनाएं आपको एक किस्सा दिल्ली का
हां, वही पीरों वाली जादुई दिल्ली,
जहां औलिया निज़ामुद्दीन ने ख़ुसरो को
ज़िन्दगी की तालीम दी।
वही पुरानी यादों को संजोने वाला दिल्ली
जहां दहशत के नाम ओ निशान नहीं थे।
थी तो केवल यादों का कारवां और
किस्सों का गुच्छा,
दिल्ली।
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