QUOTES ON #CUSTOM

#custom quotes

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27 MAY 2018 AT 8:53

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230 messages from 31 chats

Yet
Heartbeats raised at
that one custom notification

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5 OCT 2019 AT 17:07

शरिया - ए - निकाह हुआ आज मोहल्ले में किसी बेटी का
फिर फख्र हुआ मुझे मज़हब पे मेरे
और ज़माने को दावत का मलाल रह गया।

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4 JUL 2017 AT 19:14

I too loved the older version of myself,
But somehow I had to change.

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7 JAN 2022 AT 10:00

If you act according to people
you are very good to them!
But,where you think of doing
what you want,you become bad!

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28 MAY 2020 AT 21:57

There is a hole in her eyes to enter into her heart ...

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2 AUG 2017 AT 11:42

पंक्तियों के माध्यम से बात अपनी समझाना चाहता हूँ
सिक्के के पहलू दो होतेे हैं सबको बताना चाहता हूँ
मैं हृदय से सम्मान करता हूँ नारी जीवन आधार है
पढ़कर स्वयं ही निर्णय लें ये प्रश्न क्या ये मेरे निराधार हैं
मात पिता जो लहू बहाकर अपना, संतान का लालन पोषण करते हैं
स्वयं भूखे रहकर भी संतान को प्रत्येक सुख से सृजन करते हैं
फिर किस अपराध में दोषी उन्हें ठहराया जाता है??
संतान के विवाह के उपरांत अपने ही घर में उन्हें पराया किया जाता है?
केवल वधू के आने से क्या अधिकार उनका कम हो जाता है?
पुत्र भी सबकुछ देखता हुआ खुद को लाचार पाता है
क्योंकि नारी सम्मान पर माँ का दिया हुआ ज्ञान ही उसके आड़े आता है
हद पार हो जाती है जब अपमान उसी माँ का हो जाता है
सम्मान में उस माँ के जो शब्द कुछ पुत्र कह जाता है
तो हमारा समाज उसे ही कठोर निष्ठुर क्रूर बताता है
घर वह नहीं जिसे ईंट पत्थर एवं ऐशो आराम से सजाया जाता है
संयुक्त रिश्तों का परिवार ही एक घर की परिभाषा है
सम्बन्ध वही है जिसे अपने लहू से मात पिता ने सजाया है
फिर उसे तोड़ने का अधिकार उस वधु को कौन दे जाता है?
फिर उसे तोड़ने का अधिकार उस वधु को कौन दे जाता है?

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28 JUL 2017 AT 16:12

आज इक महाशय से बस में मुलाकात हो गई
बातों ही बातों में उनसे काफी बात हो गई
विषय चल पड़ा भक्ति और भगवान का
बस फिर प्रश्न आना ही था धर्म के सम्मान का
उन्होंने पूछा कहो भैया कौन से धर्म को मानते हो
मैने कहा इंसानियत से बड़ा कोई धर्म जानते हो?
वे बोले की बातें ये सिर्फ किताबों में भली लगती हैं
मैने कहा क्या नहीं आपको धर्म की आग में इंसानियत जली लगती है
सुनकर ये बात थोड़ा मौन उन्होंने साध लिया
मानो अपने शब्दों को जैसे जिह्वा से बांध लिया
मैं भी न बोला कुछ बस चर्चा फिर वंही थम गई
आँखें उनकी कुछ क्षण के लिए मानो जैसे जम गई
माथा ठनका जानकर, महाशय भी सच से अनजान नहीं
पर प्रश्न फिर आया जब जानते सब हैं तो क्यों मानने को तैयार नहीं??

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9 FEB 2017 AT 17:00

छन्द पकैया छन्द पकैया
छ्न्द पकैया व्याह की थाली...
छ्न्द पकैया छ्न्द पकैया
छ्न्द पकैया लगन-सगाई...
छन्द पकैया छ्न्द पकैया
छ्न्द पकैया गाना...
छन्द पकैया छन्द पकैया
छ्न्द पकैया बधाई...
छ्न्द पकैया छन्द पकैया
छ्न्द पकैया सेहरा...
छ्न्द पकैया छ्न्द पकैया
छ्न्द पकैया रुस्वाई...


(पूरी कविता caption में 👇)

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17 JUL 2017 AT 21:09

Judgement is dead

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15 JAN 2017 AT 20:41

असहज रहा होगा जरुर वो कफन में,
जिन्दगी जिसने चीथडों में काटी थी।।
Avanindra bismil

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