प्रेम से सींचे रिश्तो में,कैसे दरार आ जाती है।
खूब सिंचाई कर-कर भी,कमी कहां रह जाती है ।।
भाई-भाई का दुश्मन है,रोज लड़ाई हो जाती है।
बीवी के आ जाते ही,माँ पराई हो जाती है ।।
परवरिश में ना जाने ,ये कमी कहां रह जाती है।
माँ-बाप को रूलाकर संतान , चैन से सो जाती है ।।
- ©️ Sudipti Saraswat
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