कभी ख़ामोश रहता हूं कभी खुद में रो लेता हूं कभी तुझको याद करके मै अब खुद ही मुस्कुरा लेता हूं मुझको मालूम था यह लापरवाही जान ले लेगी मेरी इसी लिए तो में यूं तुझको बार बार टोक देता हूं नतीजा अा गया एक दिन आखिर निकल कर यह अख़्तर मेरी बातों से खफा हो होकर तू मुझको छोड़ बैठा ना