कौन ना कहेगा सबको अपना बोलबाला अच्छा लगता है
कलम के तलबगार हाथों में कहां भाला अच्छा लगता है
घर देखा तो महसूस हुआ बहुत मजबूर रहा होगा शायद
ऐसे ही किसे अपने घर पर लगाना ताला अच्छा लगता है
इधर उधर हर तरफ जो बांटते फिरते हैं नीम की पत्तियां
उन्हें भी खुद की तारीफ में सुनना गुड़वाला अच्छा लगता है
बच निकलने का कोई रास्ता नहीं वरना निकल जरूर जाते
किसे जिंदगी की मुशीबतों से कोई पढ़े पाला अच्छा लगता है
ये भी नहीं लगता कभी जमाना अपनी पसंद से चलता है
सांवले लोग पसंद नहीं आते जिन्हें रंग काला अच्छा लगता है
इस मामले में मेरा तजुर्बा तो फिलहाल अभी कुछ भी नहीं
पर देखा है लोगों को अक्सर छोटा साला अच्छा लगता है😜😝
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