धर्मपरिवर्तन के दलाल ईसाई मिशनरियों की स्थिति स्वयं स्पष्ट नहीं है। वे कहते हैं कि हम सभी जन्मजात पापी हैं, और ईसा मसीह हमारे पापों को लेकर क्रूस पर चढ़ गए, इसीलिए हमें उनकी शरण में जाना चाहिए। यदि उनकी इस बात को सत्य मान भी लें तो यहां दो स्थितियां हैं, या तो ईसा मसीह अपने इस कार्य में सफल हुए, या फिर असफल।
यदि वे हमें पापमुक्त करने में सफल रहे, तो फिर हम जन्मजात पापी कैसे रह गए ? अथवा उनके ही देशों के न्यायालय किसी भी अपराध का दण्ड दे ही क्यों रहे हैं ? चूंकि अब हम पापमुक्त हैं, ईसा के बलिदान से, तो हमें अब ईसा की आवश्यकता ही नहीं, और यदि ईसा मसीह हमें पापमुक्त नहीं कर सके, तो फिर हमें उनकी महानता क्यों सुनाई जा रही है, हम उनकी शरण में क्यों जाएं ?
एक सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि जब ईसा स्वयं यहूदी थे तो हमें ईसाई क्यों बनाया जा रहा है, हमें यहूदी बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए। यदि हम चमत्कारों की ही बात करें तो विश्वरूप दर्शन कराने वाले श्रीकृष्ण, पाषाण रूपी अहल्या को नारी देह देने वाले श्रीराम, एवं हलाहल विष का पान करने वाले भगवान् शिव जी के चमत्कारों में क्या कमी है ?
श्रीमन्महामहिम विद्यामार्तण्ड श्रीभागवतानंद गुरु
-