QUOTES ON #BENARAS

#benaras quotes

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बस एक मुराद हैं भोलेनाथ से,
तुमसे अंजाने में ही सही पर हो
जाए मुलाकात बनारस के घाट पे!!!

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27 JAN 2022 AT 23:55

दुःखी मत होओ
मणिकर्णिका,
दुःख तुम्हें शोभा नहीं देता।

ऐसे भी श्मशान हैं
जहाँ एक भी शव नहीं आता
आता भी है,
तो गंगा में
नहलाया नहीं जाता— % &

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17 DEC 2020 AT 16:20

हर तिनके तिनके में जहां जन्नत का अहसास है
चिता भस्म जहां पर महादेव का लिबाज़ है,
हर इश्क़ का जहां इक अलग अंदाज़ है
ये बनारस है यहां का अलग मिज़ाज है।

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10 DEC 2019 AT 22:47

जहा पैर रखते ही आत्मिक तृप्ति मिल गई
कुल्हड़ की गरम चाय से चेहरे की हसी खिल गई
तब लगा बनारस में हूं

जहा डुबकी लगा कर पुण्य को जाना
धर्म की अदभुत शक्ति को पहचाना
तब लगा असी घाट में हूं

एक ओर दशाश्वमेध में गंगा आरती
का अतुल्य रूप देखा
दूसरी ओर मणिकर्णिका में
मोक्ष का असली स्वरूप देखा
तब लगा बनारस में हूं

जहा प्रकृति भी महादेव को
करती है नमन प्रभात में
रामकृष्ण, तुलसीदास,विवेकानंद का
स्पर्श हो काशी विश्वनाथ में
तब लगा बनारस में हूं

रामनगर किले की ऊंची दीवार से होकर,
गलियों को छू कर जब ॐ की ध्वनि घाट में
मेरे शाम से आ मिली तो लगा सुबह ए बनारस में हूं

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12 MAR 2021 AT 21:07

सुनो !
ये घाट की शाम बहुत सुकून देती है
लेकिन ये तो रूकती नहीं है कभी
ऐसा करो तुम घाट की तरह बनो
शाम चली भी जाये तो तुम रुक जाना.........

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5 MAR 2021 AT 14:50

आज भी इश्क़ के मामले में तुम उसके बाद आते हो।
अरे! गुस्सा हो गए क्या?
मैं बनारस की बात कर रही हूँ........

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9 FEB 2021 AT 18:29

एक दिन बनारस के घाट पर तुमको बुलाएँगे,
पान क्या चीज है तुम्हें चाय भी पिलायेंगे।

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चलो ना बनारस चलते हैं जहां तुम हमारे शिव‌ और हम तुम्हारी काशी बन जाएं,
जहां तुम मंदिर के शंखनाद की आवाज बनो हम घाट का पानी बन जाएं,
आओ चलो ना बनारस चला जाए।
एक दूसरे से दूर हो मगर एक बनारस के हो जाएं,
एक दूसरे के ना हो के भी एक ही जगह पाएं जाएं,
आओ चलो ना बनारस चला जाए।

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13 SEP 2020 AT 11:08

वो बनारस की शाम सी सुंदर...
वो उसकी सुबह सा उमंग भरा|
दशाश्वमेध की रूह उसमें,
अस्सी घाट की चंचलता,
वो पूजा करती, अज़ान वो पढ़ता था।
इश्क़ पुराना था उनका...
घाट घाट यह गवाह बना।
पर गंगा के दो किनारों जैसे,
कभी ना उनका मिलन हुआ।
मणिकर्णिका में वो जली,
तो इश्क़ कहीं दफ़न हुआ।
राख और मिट्टी मे मिलकर,
बनारस की गली गली में,
क़िस्सा यह अमर हुआ।

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26 APR 2022 AT 22:41

वो काशी का वासी, मैं नवाबों का रुआब हूं,
वो घाट हैं पाक सा, मैं ठहरी उसमे आब हूं।
वो क़िस्सा बेपनाह सा, मैं छोटा एक ख़्वाब हूं,
वो गंगा सा ठहरा मुझमें, मैं गोमती बेहिसाब हूं ।।

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