जिनपर अकेले ही चलना पड़ता है | किसी को बताये बिना सफर तय करना पड़ता है | इन रास्तो में हमारे कई सवालों के जवाब मिल जाते है | अंजान सी राहे अपनी सी बन जाती है |
उसके आगोश में ना आती तो क्या करती मैं मुहब्बत न करती तो क्या करती करता था जो वादे साथ रहने के बात पे उसकी ऐतबार न करती तो क्या करती मैं मुहब्बत ना करती तो क्या करती छोड़ा उसने मुझको मजबूरियों की दुहाई दे कर मैं फिर उसका ऐतबार ना करती तो क्या करती मैं मुहब्बत ना करती तो क्या करती इंतज़ार मुझे सिर्फ उसका था जुस्तजु ना मुझे किसी और की थी उसकी राह ना देखती तो क्या करती मैं मुहब्बत ना करती तो क्या करती।