QUOTES ON #BASANT

#basant quotes

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18 JAN 2021 AT 17:46

पतझड़ में गिराए थे जिसने, पत्ते अपने झोकों से...!
वही हवाएं अब बसंत में, साथ निभाने लग गए हैं...!!

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24 JAN 2018 AT 14:00

पत्तों की जैसे पाजेब बजी
मुझे बस तुम याद आये...
बसंत की जो बयार चली
मुझे बस तुम याद आये...
मौसम ने जैसे अंगड़ाई ली
मुझे बस तुम याद आये...
धरती ने धानी चुनरिया ओढ़ी
मुझे बस तुम याद आये...

रिमझिम रिमझिम बरखा बरसी
मुझे बस तुम याद आये...
फूलों की कलियाँ महकी
मुझे बस तुम याद आये...
कोयल ने मल्हार गाया
मुझे बस तुम याद आये...
अंबर ने अब्र बरसाया
मुझे बस तुम याद आये...

सबके जीवन में आया प्यार
मेरी आँखों में क्यूँ आसूँ आये...
अब तुम ही बोलो इन नज़ारों को
ऐसे रोशन होकर ना मुझे जलाये...
मैं तो पहले ही सताई हुई तम्हारी यादों की
कह दो इन सबको बिना तुम्हारे
तुम्हारी विरहन को ना अब और सताये......

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21 NOV 2020 AT 13:56

जिंदगी के पड़ाव में लेखनी नए नए राग गाती रहेंगी
मगर मेरे प्रेम का ऋण तेरी कविताएं चुकाती रहेंगी

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11 MAR 2020 AT 14:03

Aaj Kitaab-ê-Zindagi ke
kuch purane Warqon ko
palatkar dekha...



Patjhadh hi Patjhadh tha....




Matlab ßå$@ñt kareeb hi hai...!!

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22 JAN 2018 AT 10:13

Ik shabd se bhi anjaan hota.
Agar maa apka dhyaan na hota.
Anpad ganwar bhatka hi hota.
Agar maa apka pyar na hota.
Irshiya, adharm, paakhand
mai reh jata
Agar Sarswati maa
aapne diya
gyan na hota.
Basant panchami ki
hardik shubhkamnaye.

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7 FEB 2022 AT 14:01

'मधुमास आया'

चहुँ दिशि छाया प्रेम बसंती,
देखो कैसा अल्हड़ माह आया
अली री! मधुमास आया...।

मन मयूर नाचे घन वन में
पीत सरसों फूले खेतन में
कलियों में है रतनार छाया
अली री! मधुमास आया...।

मंजुल मंजरी लदी अमराई
गुंजित भ्रमर करें शहनाई
ज्यों प्रियतम पयाम आया
अली री! मधुमास आया...।

हर्षित युगल करें रति क्रीड़ा
विरही मन में हुलसे पीड़ा
जिमि चकोर उपवास आया
अली री! मधुमास आया...। पूनम'प्रेयसी'



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14 MAR 2019 AT 7:20

अगर परिवार संग है तो
हर दिन बसन्त है
वरना सब बस- अंत हैं।

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15 FEB 2021 AT 13:37

मधुमास और तेरी याद

आ गया मधुमास फिर से,साथ में तेरा प्यार लेकर।
पायलों से फूल खनके,हर डाल में झंकार लेकर।

चहकी है फिर से चिरैया,महकी सरसों क्यारियाँ हैं।
आरती ले हाथ में मैं, चौखट  खड़ा सत्कार लेकर।

मैं ऋणी हर रात का,हर दिन के आठों यामों का हूँ।
लौट आओ पास मेरे,मधुमास का आभार लेकर।

फिर  खुशी से खिलखिलाने,वो दिन पुराने गुनगुनाने,
मधुमास आया द्वार पर है,अनगिनत उपहार लेकर।

कौन दोषी,कौन नहीं था ,इन गुत्थियों में न उलझकर,
आ करें शुरुवात फिर से,इस प्रेम का विस्तार लेकर।

मधुमास की पावन बहारें,हाथ तेरा थाम लूँ मैं।
चल चलें हम साथ दोनों,इस जिंदगी का सार लेकर।

करूँ प्रकाशित उन क्षणों को,गीत में जो बाँधे डाले।
ले चलूँगा तुझको मैं संग,चाँद के भी पार लेकर।


हरीश चमोली"दीक्षार्ष"

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15 FEB 2022 AT 8:23

साँस साँस केसरिया है, मन बहका हुआ बसंत..!
तुम धरा धरोहर पर्वत सी,मैं उन्मुक्त आकाश अनंत..!!— % &

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16 FEB 2021 AT 6:11

पुरवईया ये संदेशा ले आई है
सखी देखो बंसत रूत है आई
पीले पात है झरन लगे
हरित पल्लव ने है जगह बनाई
पत्तीयों पर हलकी ओस की बूंदें
अंखियों में नई उमंगे ले आई
रंग बिरंगे फूलों से सज गई हैं हर बगिया
मानों नई दुल्हन सी सज गई है धरा
बंसत के आने से कैसी आई है बहार
हर किसी को था इस मौसम का इंतजार
सखी देखो बंसत रूत है आई

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