यकीं था उसे, मैं उसका ही हूं, फ़िर भी, उसने झिंझोड़ के देखा। जानती थी, गिर के टूट जाऊंगा, फ़िर भी, उसने छोड़ के देखा। इल्म था उसे, मेरे दिल में है वो, फ़िर भी, उसने तोड़ के देखा। मालूम था उसे, नस नस में है वो, फ़िर भी, उसने निचोड़ के देखा।
शिक्षा के जहाज बड़े शौक से डुबाए जा रहे हैं, स्कूलों को बंद कर लोग रैलियों में बुलाए जा रहे हैं, तू कबतक फ्री के राशन का मजा लेता रहेगा ऐ इंसान, तेरे बच्चे शरीर से नही दिमाग से अपाहिज बनाए जा रहे हैं।
मेरे लिखने से क्या तुम पढ़ो तो कोई बात बने, मेरे सोचने से क्या तुम समझो तो कोई बात बने, मै चुप हूँ तो क्या तुम बोलो तो कोई बात बने, मेरे चाहने से क्या तुम एहसास करो तो कोई बात बने, मै बैरंग हूँ तो क्या तुम रंग भरो तो कोई बात बने।