चलता रहा मैं रात भर बस तेरी ही तलाश में मिल जाए तू कहीं भी बस इतनी सी आस में पूछूँ मैं तुझसे बात ये कैसी खता मुझसे हुई क्यों छोड़कर मुझको तू जाकर किसी और की हुई
शिकायत अगर है हमसे कोई तो एक बार तो जिक्र कीजिये हुआ है अगर गुनाह कोई हमसे तो मुश्किल सी ही सही पर सजा तो दीजिए यूँ नजरें चुराना तो अच्छा नहीं इस नाजुक से दिल पर कुछ तो रहम कीजिये आप जितने तो अच्छे नहीं हम मगर कुछ बात तो हममें भी होगी शायद फिर मुलाक़ात हो न हो मगर किसी बात में तो हमारी बात होगी
Kai logo ko safar mein hi humsafar mil jate hai....... Kai logo ko manzil pe pahunch kr humsafar milta hai....... Magar hum kis safar aur manzil ki baat kare........ Hmare liye to tum hi safar ho aur tum hi manzil...