QUOTES ON #ARTOFTHEDAY

#artoftheday quotes

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22 JUN 2019 AT 10:43

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22 JUN 2019 AT 0:02

22 JUN 2019 AT 14:44

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4 JUL 2018 AT 19:20

ईश्वर की ये बात नहीं, न अल्लाह का पैगाम है ये
न गुरबाणी ये सिखों की, न जीसस का अरमान है ये।
मंदिर टुटा, मस्जिद टुटा और टूट गया ये देश मेरा,
इंसान के उपर मज़हब को रखा उसका अंजाम है ये।

कभी भाई-भाई से रहते थे, आज उन रिश्तों से मुँह मोड़ लिया,
कभी दुःख-सुख बांटा करते थे, आज बातें करना भी छोड़ दिया।

माना माँ मेरी और कोई, माना माँ तेरी और कोई
इक माँ है सबकी भारत माँ, जिसका बेटा हर एक कोई।

इस माँ के लाखों बेटों ने देश की खातिर जान दिया,
कीमत क्या देंगे हम जानों की, जब हमने न सम्मान दिया।
हम सब की खातिर वीरों ने अपने जान की कुर्बानी दी,
धर्म, जाती और मज़हब छोड़ इस देश के नाम जवानी दी।

आँखों में आँशु याद बनाकर उनकी माएँ भी जिन्दा है,
फिर भी मज़हब का खेल चले, हम अब भी न शर्मिंदा हैं।

क्या धर्म तेरा, क्या धर्म मेरा, क्या बात सिखाई मज़हब ने,
हम इंसानो से भी बढ़कर क्या कोई चीज़ बनाई है रब ने।

मजहब के नाम पे न जाने क्यों देश को बाँट रहे है हम,
बस नाम का अंतर पाकर ही, अपनों को काट रहे है हम।

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8 JUL 2018 AT 9:07

वक़्त ने जो तुझे दिया तो क्या दिया,

वक़्त आने तो दे, वक़्त फिर से सब छीन लेगा।

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4 JUL 2018 AT 19:15

क्यों नारें मुर्दाबाद के हम इस देश के नाम लगाते हैं,
न जाने क्यों कुछ गद्दारों की हम बातों में आ जाते हैं।

मजहब के चलते देश का जन्नत लाशों की खाई बन बैठा है,
वो देश का दुश्मन अब हम सब का भाई बन बैठा है।

मज़हब के नाम पर लोगो को जो आपस में बंटवाता है,
वो भाई नहीं हो सकता मेरा, जो अपनों के गले कटवाता है।

बहुत हुआ ये खेल धर्म का, इससे क्या किसने पाया है,
आँख खोल के देख ज़रा कि देश पे है किसका साया है।

तेरे मेरे मज़हब से भी बढ़कर ऊपर एक मजहब है,
इंसान है हम इंसानियत ही ऊपर बैठा सब का रब है।

मज़हब की खातिर न जाने अबतक कितना खून बहाया है,
कभी सोचा है इस खून की होली से क्या तूने पाया है।

कुछ हासिल न होगा इससे ये बात हमें बताना है,
साथ में आकर हाथ बँटाकर इस देश को एक बनाना है।

न मेरा है, न तेरा है, ये देश है हम सब की पहचान,
हम सब उस देश के वाशी हैं, जिस देश का नाम है हिंदुस्तान।

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19 APR 2017 AT 13:31

तेरी आँखों की एक परत से जो गुजरा,
सुरमा फिर बरेली का मशहूर हो गया।

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1 JUL 2018 AT 21:13

मेरी कलम मेरे जज्बातों से कुछ इस क़दर रूबरू है कि,
मैं चंद अलफ़ाज़ लिखने जाता हूँ, वो दिल के जज्बात लिख जाती है।
मैं तक़रार लिखने जाता हूँ, वो एतबार लिख जाती है।
मैं इंकार लिखने जाता हूँ, वो इक़रार लिख जाती है।

मैं ख़ामोशी लिखने जाता हूँ, वो तेरी गुनगुनाहट लिख जाती है।
मैं मायुषी लिखने जाता हूँ, वो तेरी मुस्कराहट लिख जाती है।

मैं मेरी जरुरत लिखने जाता हूँ, वो तेरी ख्वाहिश लिख जाती है।
मैं मेरी दरख्वास्त लिखने जाता हूँ, वो तेरी फरमाइश लिख जाती है।

मैं मेरी नींद लिखने जाता हूँ, वो तेरे ख्वाब लिख जाती है।
मैं मेरे सवाल लिखने जाता हूँ, वो तेरे जवाब लिख जाती है।

मैं जब सफर लिखने जाता हूँ, वो तेरा साथ लिख जाती है।
जब खाली परे हो पन्ने, तेरी अनकही बात लिख जाती है।

मैं जब मंज़िल लिखने जाता हूँ, वो तेरा नाम लिख जाती है।
और जब भी मैं खुद को लिखने जाता हूँ, वो बातें तेरी तमाम लिख जाती है।

मेरी कलम मेरे जज्बातों से कुछ इस क़दर रूबरू है।

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9 OCT 2020 AT 15:58

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20 MAY 2020 AT 23:46

She was a poem and a painting too. Everything she said sounded like a song, every silence was the music too🌸

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