किसी ज़माने में वो, हुआ करते थे मेरे,
मैंने उनका दिया, हर ख़त सम्भालकर रक्खा है,
उनकी बातें, उनका एहसास, उनके वादे,
साथ बिताया, वक्त सम्भालकर रक्खा है,
मिल जायें कभी यूँ ही, तो मुकम्मल कर लेंगे,
दिल में इक छोटी, हसरत सम्भालकर रक्खा है,
हाँ! वो प्यार से मुझे, कुछ कहकर पुकारते थे,
आज भी उनका, वो हक सम्भालकर रक्खा है,
मैंने आज भी उनका, अक्स सम्भालकर रक्खा है।।
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