मेरी इस प्रेमलीला की मुझे लगती जो राधा है, उसी के बिन मुझे लगता ये अपना प्यार आधा है, वहाँ भी आँख रोयी है, यहाँ भी आँख रोयी है वहाँ पर दर्द कुछ कम है, यहाँ पर दर्द ज़्यादा है। #AkshayAmritPoetry
बदलने को तो हम इक पल में पूरे ही बदल जायें, कलेजे पर किसी पत्थर को रखकर हम पिघल जायें, हमारी सोच से भी तेज चलता वक़्त का पहिया कहो उससे भी आगे हम भला कैसे निकल जायें?
कहाँ से आ रहे हो तुम, कहाँ को जा रहे हो तुम, हमारी याद में अब क्यूँ तराने गा रहे हो तुम, भले ही लो छिपा अहसास दिल में जो तुम्हारे हैं हमीं से दूर होकर भी हमीं तक आ रहे हो तुम।