वो कातिल है,
कभी भी दिखता नहीं
किसी को भी,
पर वो
सबको
देखता रहता है।
कई एजेंट हैं इसके,
जो
गहरी पैठ रखते हैं,
उस दुनिया में
जो हमारे
चारों ओर बसती है।
वो पहले रिझाते है
कई अदाओं से,
फिर
खींच लेते हैं
उस कातिल के आगोश में।
तोड़ देती है, आहिस्ता
हर वो सांस,
जो कश लेती है,
हाँ ये धुंआ हानिकारक है,
सब ही को डस लेती है।
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