मेरी जगह उन लोगों मे नहीं , जिन्हें मेरे होने का ख्याल नहीं..
मैं रहती हूँ बेकसी में मसरूफ ,जहाँ तन्हाई को मुझसे सवाल नहीं..
काफ़िर हूँ मुसाफिर भी ,इक ओर रूक जाने का शौक नही रखती ....
पैरागन पहन फ़ारिग़ का ,चल पड़ी उस कूँचे को जहाँ मेरे होने पे बवाल नहीं...
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