मन की आस
जब तक है मन में आस
तब तक है सीने में साँस।
तो क्यों न जी लें जी भर के इस जिंदगी को,
क्यों न भुला दें हर एक बन्दगी को।
आओ चलो खुआबो की एक नयी दुनियाँ सजाये,
क्यों न सपनों के रंगो में ही घुल जाये।
जब तक है मन में आस
तब तक है सीने में साँस।
आओ जगायें दिल में नयी बुलंदियों को पाने की आस,
खुद के लिए ही बना लें खुद को थोड़ा सा खास।
आओ देखें सपने इन खुली आँखों से,
क्यों न उड़ चलें इन हवाओं के झोको में।
जब तक है मन में आस
तब तक है सीने में साँस।
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