सून वक्त लगेगा कोर्ट कचहरी के सुनवाई को,
एक काम कर ख़त्म कर तेरी मेरी लडाई को,
हम दोनों के मसले हम खुद सुलझा सकते हैं,
मेरी बात मान थोड़ा काबूमें रख अपने घाई को,
पता हैं तू साथ होती हैं तो दिल लगा रहता हैं,
मैं कैसे पार करूंगा इस तनहाई के खाई को,
जिंदगी के हर धूप छावमें साथ रही हैं तू मेरे,
तू ही बता मैं कैसे दूर जाने दू मेरे परछाई को,
रात रातभर तेरे जुल्फोमें मैं उलझा रहता था
अब तो तेरी आदत पड गयी हैं मेरे रजाई को।।
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