" नज़र की बात है...... "
ये तो नज़र नज़र की बात है,
कभी इधर तो कभी उधर की बात है,
ख़ामोशियों से गुज़र कर निकली,
ये उम्र की उस शज़र की बात है,
हाथ पकड़ो साथ चलो तो कुछ वक़्त,
मंज़िल से अलहदा ये उस सफ़र की बात है,
मरहम से वाकिफ़ होगे अब तलक तुम शायद,
मगर ये तो उनके ज़ख्मों की बात है,
कहानी, फलसफों पढ़े है जिनके तुमने हर-सू,
ये उस शायर की मरहूम क़लम की बात है,
अब अगर आ चुके हो आख़िर तक मुसाफ़िर,
तो यहीं ठहरो कि यहीं हमारी पहली मुलाक़ात है...!!
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