QUOTES ON #YQMYQUOTE

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अब वो ग़ैरों की बातें करने लगे हैं
मुझमें कोई बात बाकी नहीं शायद

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न रंज़ न रंजिश है किसी से...न कोई खलिश है
और कुछ भी नहीं शायद, ये वक़्त की तपिश है

जब जाँ आधी...... साँसे भी अधूरी हैं मेरी
फिर ज़िस्म में ये कैसी हसरतों की आतिश है

चाह के भी वहाँ जहाँ मैं पहुँच नहीं पाता
देरी ही सही वहाँ पहुंचने की ख़्वाहिश है

कितने दफे देख कर ठगा रह गया हूँ मैं
वल्लाह अब भी तुझमें पुरानी वही कशिश है

तेरे दिल से मेरे इश्क़ का जनाज़ा उठ जाए
ये कुछ और नहीं बस रक़ीबों की साज़िश है

"अनगढ़" तस्वीर सिरहाने रखने का ये ही सबब
तूने फरमाई अता जो वोह नवाज़िश है

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5 JUL 2019 AT 21:59

Na karo mujhe samajhne ki koshish
Kahin mere kirdaar se Mohabbat na ho jaye..😜

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ये तिश्नगी कैसी जिसे अज़ल तक मिटनी नहीं

अशुफ़्ता सा फिरना है क्या खिज़ा के आने तक ।

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तेरे होने का एहसास ही... ख़ास है
सब कुछ है हँसी ग़र.... .तू पास है ।

दूर होने इहलाम से होते हैं परीशां
तू रुह है धड़कन है.. तू ही साँस है ।

इश्क़ होने के मायने क्या क्या कहें
महबूब जो मिला.. इंतेहाई ख़ास है ।

ना मालूम रहबर... कब तक रहोगे
भटकते दिल की मेरे.. तू ही आस है ।

मेरी ज़ीस्त... रेगिस्ताँ के माफ़िक़ है
एक तुझमे ही दबी..... मेरी प्यास है ।



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19 MAR 2018 AT 13:36

एक असफल छात्र के सफल होने की कहानी
(See caption)

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तस्वीरें रक़ीब की दिखा जलाते हो
के मैं तुम्हारा हूँ ये भी तो जताते हो ।

मिन्नते कराते हो बार बार बेशुमार
जाने क्यूँ मुझे तुम....ऐसे सताते हो ।

गुलाबी चिठ्ठियाँ तो पुर्ज़ा पुर्ज़ा हो गईं
रंगीन यादें दिल से क्यूँ नही हटाते हो ।

सितमगर हो अगर सितम तो करो
बिना वज़ह के क्यूँ मुझे बहलाते हो ।

स्याह रातों से मेरी पुरानी आशनाई है
चटक उजाले में दिया क्यूँ दिखाते हो ।

दर्द बेच कर हँसी ख़रीदी है मैंने तो
ख़ुशी का मोल मुझे क्या तुम बताते हो ।

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29 JAN 2020 AT 21:53

याददाश्त का कमजोर होना
बुरी बात नहीं है जनाब,
बड़े बेचैन रहते है वो लोग
जिन्हें हर बात याद रहती है


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सुनी राहों से आज कोई आवाज़ लगाया था
रोशन होने को है बज़्म किसी ने बताया था ।

चाँद अल्हड़ चाँदनी भी जवाँ थी उस रात में
एक मैं ही नादाँ था वहाँ ये सबने जताया था ।

महफ़िल के सारे रक़ीब रफ़ीक़ हो गए थे मेरे
मेरी नादानी ने भी क्या ख़ूब कहर ढाया था ।

शमा-ए-बज़्म बुझते ही ये यक़ीन हुआ मुझे
मैंने सच में ही ख़ुद को “अनगढ” बनाया था ।

सुबह आफ़ताब की किरणों ने चांदनी से पूछा
वो कौन सा तारा था जो फलक पर छाया था ।






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28 MAR 2021 AT 14:31

तुम्हारा रंग ओढ़कर,
मैं खुशनुमा हूं....
तुम ही तुम हो मुझमें,
मैं कहां हूं....

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