आज दंगे में जो भी मरा था
उसके खून का रंग
न ही भगवा न ही हरा था
जिनमें अब भी क्रोध भरा था
उन आँखों का रंग
न ही भगवा न ही हरा था
उस शहर का हर शख्स डरा था
उनके चेहरे का रंग
न ही भगवा न ही हरा था
जिनकी आँखों से आँसू झरा था
उन आँसुओं का रंग
न ही भगवा न ही हरा था
कौन था दोषी और कौन खरा था
सच और झूठ का रंग
न ही भगवा न ही हरा था
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