QUOTES ON #TARANNUM

#tarannum quotes

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17 MAY 2020 AT 7:46

लिखी है चिट्ठी मौत की, कहां डाली है।
छुरी थी हाथ में , सीने में कहां डाली है।

बड़ी तरकीब से ये अश्क गिराए मूझपर।
उसने जख्मों भरी तकदीर बना डाली है।

वो आए कब्र पर तो कोई तकल्लुफ न हो।
इस लिए राहों में ये आंखे बिछा डाली है।

यक़ीन नहीं था ऐसा करेगा मेरा चिराग़।
घरों के साथ ये बस्ती भी जला डाली है।

पुराने ज़ख़्म सारे फिर से नए होने लगे।
मेरे बदन में तुमने कैसी दवां डाली है।

आशू के साथ कई लाख दीवाने है तेरे।
सारे संसार में ये कैसी हवा डाली है।

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14 OCT 2019 AT 17:00

Usko choo kar bhi hum bin chue reh gaye,
Uske seene se lagne pr bhi hum adhoore reh gaye !

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30 JUN 2020 AT 16:45

Jo saamne ho kar bhi nhi dikhti..
Jo dikh kar bhi haath nhi aati..
Jo haath aakar bhi nhi milthi..
Woh ghazal hu mai. Tarannum.

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18 APR 2021 AT 19:37

2122 1212 22
बज़्म खिल जाती थी तबस्सुम से
जाने क्यों हैं वो आज गुमसुम से

उनकी आमद में फूल भी देखो
"बात करते हैं सब तरन्नुम से"

काश हम बोल पाते हाल ए दिल
बस मुहब्बत सी हो गई तुम से

जीस्त की बाज़ी जीत ली हमने
अब न डरना किसी तलातुम से

आज भी राह तेरी तकते हैं
जीस्त वीरान हम भी गुमसुम से

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22 JUL 2020 AT 11:41

Kuch aysi si hu mai.......
Kisi ko apna banana nhi chahti..prr ban jate h,
Kisi ko waqt dena nhi chahti..prr de deti hu,
Kisi ke sath hona nhi chahti..prr sb me hoti hu,
Kisi se wada krna nhi chahti..prr ho jata h,
Kisi ko dokha dena nhi chahti..prr de deti hu,
Kisi se nafrat krna nhi chahti..prr ho jata h,
Kisi se Dil lagana nhi chahti..prr lg jata h,
Kisi ko qareeb aane nhi dena chahti..prr aa jate h,
Kisi ko apna banana nhi chahti..prr ban jate h,
Kuch aysi si hu mai....

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30 APR 2018 AT 19:27

धनक बेपरवाह रंगों की है तेरी मुस्कुराहट में
अजब एक जल तरन्नुम सा है तेरी मुस्कुराहट में

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20 FEB 2017 AT 1:07

वो गोपियां जिनके जीवन में मेरी बांसुरी बिन अंधेरा है,
उस बांसुरी की हर सुर-ताल-लय पर मोरी राधा का ही बसेरा है ।

मुरली मनोहर ! यूं बतियाँ बना कर के मोहेे ना तुम उलझाओ,
श्याम सिर्फ राधा के क्यों नहीं ये मुझको बतलाओ ।



(पूर्ण कविता कैप्शन में पढ़ें )
Meehika & Shrey
(तरन्नुम & रहनुमा )

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23 DEC 2021 AT 11:39

2122 1212 22
बज़्म खिल जाती थी तबस्सुम से
जाने क्यों हैं वो आज गुमसुम से

उनकी आमद में फूल भी देखो
"बात करते हैं सब तरन्नुम से"

काश हम बोल पाते हाल ए दिल
बस मुहब्बत सी हो गई तुम से

जीस्त की बाज़ी जीत ली हमने
अब न डरना किसी तलातुम से

आज भी राह तेरी तकते हैं
जीस्त वीरान हम भी गुमसुम से

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27 MAR 2018 AT 12:59

उसने हमको छुआ और सज़ा हो गई,
वक़्त  रहते ही ज़ालिम रिहा हो  गई।

जो  छू कर के  हमको गई थी  सुबह,
वो शाम  होते  ही जैसे  हवा  हो गई।

चाँद तारों में लिखा था जब जब उसे,
रात  उस रोज़  हमसे ख़फा हो  गई।

और जो होली के रंगों में थी ज़िन्दगी,
आज  बे-रंग  खुद  में  रवाँ  हो  गई।

चार दिन की  कहानी वो लिखते रहे,
ज़िन्दगी थोड़ी  ख़ुद  से जुदा हो गई।

पन्ने  बिखरे  रहे स्याह  उस  रात  में,
और कलम मेरी उसपे फ़िदा हो गई।

जो ग़ज़लों में लिखता था सौरभ उसे,
नज़्म वो भी फ़िज़ा में तबाह हो गई।

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17 APR 2017 AT 6:59

तेरी दीदार-ए-तरन्नुम आसान थी क्या
जो तूने आज एक नया साज़ छेड़ दिया

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