निशानी प्यार की तूने जो पुलिये पर बनाई थी,
बहुत बारिश हुई तब से, निशां वो धुल गया होगा!
जो जलता छोड़ आया था,चराग मैं उस हवेली पे,
कहां तबसे गया कोई, वो अब तक बुझ गया होगा!
तेरी फितरत पे मैं रकीब उंगली उठाऊं तो कैसे,
तूने पत्थर नहीं फेंका,मेरा सर ही दर्मियां में आ गया होगा!
चंद दिन लिखना बन्द क्या किया मैंने...
लोग कहने लगे हैं " शिव " मर गया होगा !
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