QUOTES ON #SIYASAT

#siyasat quotes

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28 MAY 2020 AT 18:11

ये सियासत की आड़ में धर्म और मज़हब को ना बांटिए जनाब,
सुबह की पूजा और शाम की अज़ान, दोनों ही कूबूल है हमें ।

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3 JUL 2021 AT 7:48

इंसानियत के बीच नफरती दीवार नहीं होती
गर हुक्मरानों के जुबां पे तलवार नहीं होती

अभी भी वक़्त है ना बटों हिंदू-मुस्लिम में
टूटते हौसलों का कोई रफ्तार नहीं होती

सींचा है अपने लहू से इस मुल्क को सबने
समझ जाते गर इतना तो तकरार नहीं होती

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30 MAY 2021 AT 18:51

खामियां सब में है किस से शिकायत करूं
सब तो अपने ही हैं किस से बगावत करूं
इस सियासत ने सबको बांट रक्खा यहां
मुल्क हम सबका है किस से अदावत करूं

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हर बात पे हिन्दू मुसलमान का दंगल
अरे हिन्दुस्तान है यह या कोई जंगल
अन्नदाता मर रहा है हर रोज़ ही यहां
राजनीतिक लुटेरे मना रहे हैं मंगल
चपरासी पद पीएचडी - धारक ढ़ूंढ़ रहा
पीएम तो बन जाते अनपढ़ ही अंकल
सरहद पर भी तनातनी है हर तरफ
हर तरफ अंदर भी मची है हलचल
नेता सारे चीख रहे विकास विकास
सर्वे में सब लगता भैया हमको छल
वोट तो करें हम अरे मगर किसके लिए
आज बनादें राजा चौकीदारी करेगा कल
ज़रूरत देश को है चौकीदारों की भी
चयन प्रक्रिया को तो इसकी ना बदल
इलिजीविलिटी बढ़ा दी तूने चौकीदारी की
आम आदमी बनना अब चौकीदार मुश्किल
हर शहर में भूखे लाखो , लाखो नंगे भी
बाकि भाइयो बहनों सब कुशल मंगल
अबकी सरकार किसकी और कैसे लूटेगी
'हयात' कुछ नहीं यही सोच रहा है आजकल

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12 JUN 2020 AT 19:12

ये हिंदू ये मुसलमां सियासतदानों का है ये दुकां
हरा मस्जिद तो पीला मंदिर का मकां
दोनों जगह मौज़ूद हैं सर्वशक्तिमान,
इक करता इबादत इक होता नतमस्तक
यहां गीता का सार वहां तिलावत- ए- क़ुरआन
है सबका अपना अपना ईमान
हर मज़हब है सिखाता बनो इक अच्छा इन्सां
कोई है एकेश्वरवाद कोई है बहु-ईश्वरवाद
पर सबका मालिक एक ही है ऐ इंसान
ये हिंदू ये मुसलमां सियासतदानों का है ये दुकां.

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3 MAY 2019 AT 10:46

सियासत के चक्कर में
ईमान बेच डालेंगे...

वो नेता हैं, साहब...

हिन्दू, मुसलमान में हम फँस गए...
तो वो हिन्दुस्तान बेच डालेंगे...

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20 JAN 2020 AT 17:16

आहिस्ते आहिस्ते सब कुछ तो बिखरा जा रहा है
लेकिन, समझ में किसी को कुछ कहाँ आ रहा है
हम सब थिरक रहे बस उस हूजूर के सर्द धुन पर
किसी को क्या ग़रज़ कि भला वो क्या गा रहा है

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16 SEP 2020 AT 12:57

Humne Is duniya me ek Ajab si baat dekhi hai
logo ke badalte hue rang to dekhe sab ne
Humne logo ki badalti hue awkaat dekhi hai
Full Poetry in caption

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21 OCT 2019 AT 21:32

सिय़ासत वादा करके दवा का सिर्फ़ ज़हर बेचती रही,
और ये दीदा-ए-बेदार तमाशा अंधी शहर देखती रही !!


سیاست وعدہ کرکے دوا کا صرف زہر بیچتی رہی..
اور یہ دیدۂ بےدار تماشا آندھی شحر دیکھتی رہی!!

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8 FEB 2019 AT 23:11

ना गिला शिकवा किसी से
बस खुद से ही शिकायत है
नहीं मांगती दुआ मे किसी और को
अब तो बस खुद से ही इनायत है
आसानी से ना समझ आऊँगी आपको
आपके समझ से परे मेरी शख्सियत है
नहीं पड़ती लड़ाई झगड़ों मे अब
क्यूंकि यहाँ तो मेरे अंदर ही सियासत है

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