जीवन बीज
आज़ादी क्या पँखों की होती है , पैरो की नहीं ।
आसमाँ पाने की चाहत है , या धरती से दूर चले जाना है क्या ?
किसी के प्यार में पड़ जाना है , या अपने को भूलना है क्या ?
सुंदरता ,सुगंध , मधुरता का आकर्षण होना फिर से जीवन बीज बनाना है क्या ?
या प्यास है तभी पानी है क्या !
उलझने है ,अँधेरा है क्या ? गुस्सा है दूर चले जाना है क्या ?
यादें है , फिर ख्बाब में नया रंग भरना है क्या ?
आँसू है , लौट आना है क्या ?
रंग है रोशनी है जीवन को सतरंगी इंद्रधनुष सा सजाना है क्या ?
तुम्हें अपना बनाना है , तुम्हारे लिये जीना है क्या ?
या अपने अंहकार को हटाना है क्या ???
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