QUOTES ON #RR

#rr quotes

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13 JAN 2020 AT 12:41

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31 JUL 2019 AT 10:09

पथिक की भांति,
राह क्यों तकते रहना?
अगर,सफर हीं तय करना
तुम्हारा अग्रिम लक्ष्य है;
तो,कदम बढ़ाकर अपने
सफर की शुरूआत करना।

मार्ग में बाधाएं निश्चित होंगी,
किन्तु सओ पथिक!
सारे अवरोध मिटाते चलना।
तुम अपने हौसलों से,
अपनी मेहनत से,
अपने क्षमताओ को पहचान,
सच्ची लगन के साथ
आगे बढते रहना।

सपनों की डगर का,
स्वयं नव निर्माण करना।
#RR #
ख्याति

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17 MAY 2019 AT 13:01

अपनों की पहचान हुई,
कुछ अनजाने रिश्तों की
शुरुआत हुई।
फरेबियों के भेश में,
जो सगे थे!
उनकी भी,सही शिनाख्त हुई।
अफसोस नहीं ,
अब तो खुशी है,हमें
कि,
इस नाकामयाबियों के
मेले में ही सही,
लेकिन गुजरते-गुजरते
थोरी देर से ही,
लेकिन जीत के एक न‌ए;
अध्याय की शुरुआत तो हुई।
#RR #
ख्याति

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12 JAN 2020 AT 11:38

Long distance relationship में,
मेरी कहानी भी आप जैसी हीं है।
मेरे साथ उनके phone में,
मेरी इक Photo भी नहीं है।
वहीं दोस्तों के साथ पूरी Album है।
WhatsApp,Instagram और
Facebook, कहीं भी मेरा जिक्र नहीं;
लेकिन मीलों दूर होने के बाद भी,
उनकी जुबां पर
अब तक,सिर्फ मेरा नाम भी है।
#RR #
ख्याति

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18 JUL 2019 AT 10:55

अपने ही भावनाओं के
सागर में,
गोते लगाता ये जिद्दी मन।
हर्ष और विषाद;
दोनों के रस में,
डूबे भंवरों सा मचलता ये जिद्दी मन।
रिश्तों के बने पुल से;
कभी प्रेम पा प्रसन्नता से,
तो कभी,कलंकित हो
कुंठित मन‌,से गुजरता
ये जिद्दी मन।
जो भी हो,किन्तु
पृष्ठ पर लेखनी से
अक्षरों से खेलते खेलते हीं,
अपने सारे अभिव्यक्तियों
को,बखूबी वयक्त करता
ये जिद्दी मन।
#RR #
ख्याति


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31 MAY 2019 AT 4:47

नियत को लेकर ,
आज नियति भी खामोश है।
आखिर,इतना क्यूं
तू अपना दर्जा
गिरा रही,
क्यूं तेरी
ये चुप्पी मुझे
अब और भी भ्रमा रही?

ख़ामोशियों के कमरे में मानो कैद!
नियति बारंबार पूछतीं यही सवाल है।

नियत आज खामोश है,
सन्नाटे के आंचल में इस,
कदर लिपटी है
जैसे मिलता अब उसको सुकुन है।

उसकी चुप्पी की बढ़ती
प्रगखढता हीं,
शायद अब उसका उत्तर है।
उसका अब यूं खामोश रहना हीं;
मानो या ना मानो,किन्तु अब बेहतर है।
#RR #
ख्याति

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19 JUN 2019 AT 12:31

कभी किसी ने मुझसे कहा था,
"कि मैं सुंदर नहीं"
उस वक्त शायद फर्क भी पड़ा था;
वजह ये कि,
जवानी की दहलीज पर कदम हीं पड़ा था,
और,भावनाओं के न‌ए न‌ए
बीज का नव अंकुरन हीं हुआ था।

किन्तु,स‌च बताऊं अब कोई वास्ता ही नहीं,
इन बातों का मेरे जीवन में, क्योंकि

अब मेरे कविताओं की,
अभिव्यक्ति का सुंदर
होना आवश्यक है,
मेरे चेहरे की नहीं।

मेरे कविताओं की पंक्तियों से निकले,
उम्मीद की किरणों का
फैलना आवश्यक है,
मेरे गालों की लालिमा का नहीं।

मेरे कविताओं में उपयोग होने वाली,
मात्राओं से विचारों का सज्ज,
होना आवश्यक है,
मेरा गहनों से सजा होना नहीं।

हां,मैं एक लड़की हूं,
तभी तो,
"मेरे भावनाओं का सुंदर होना आवश्यक है",
मेरे चेहरे का नहीं।
#RR #
ख्याति




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21 JUN 2019 AT 14:04

कैसे लिखूं?
ममत्व के किसी को,
फिर भी,लिख रहीं हूं आज अराजकता को;
इंसान के भेष में छुपे राक्षसों के राक्षसता को।

अभी मां के आंचल से निकले भी नहीं,
फिर क्यूं?
इतनी दूर इतने लंबे सफर को;
तय करने को,उस मासूम को अकेले ही भेज दिया!
अभी अपने पिता के गोद में घूम घूमकर
अपनी छोटी छोटी आंखों से,
दुनिया को देखना हीं शुरू किया था,उसनें
कितना थक जाएगा अब वो;
छाले पर जाएंगे,
उसके नन्हें नन्हें क़दमों में;
तब भी,
उस मासूम को अकेले ही भेज दिया!
अब आंगन में किलकारियां नहीं मातम पसरा है,
इन राजनेताओं द्बारा मासूमों के जान के बदले;
मुआवजे की बोली का,बोलबाला है,
क्या यही है मेरे देश के भविष्य की कीमत?

अरे ओ मक्कारों!
इन सब से क्या‌ एक मां और बाप को
उनका लाल वापिस मिलने वाला है??
#RR #
ख्याति




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28 JUN 2019 AT 0:08

मृदा में कुछ खाद्यों
के मिलने से,
जो ‌उर्वरता के साथ साथ;
परिपक्वता भी आती है न!

ठीक उसी प्रकार,
सपनों के मार्ग में भी;
कुछ समागमता होने लगी हैं।
जिससे परिपक्वता,
अब और भी,प्रगाढ होने लगी है।

मालूम होता है,
कि,अब कोई निश्चय ही
अपने अस्तित्व को छोड़कर,
उस मार्ग में पूर्णतः
विलीन हो चुका है।
जिस कारणवश अब स्वपन,
भी वास्तविक सा हो,
उभर कर और भी निखरने लगा है।
#RR #
ख्याति

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4 SEP 2019 AT 22:32

शब्दों को,
अश्कों के जायके के
साथ नहीं,
अपितु निश्चल मन से;
सजाओ
नव निर्मित उम्मीदों के
भाव के साथ से,
शब्द अवश्य बोलने लगेंगे।
और,हर वाक्य की रागिनी
कोई नई तान‌ बिखेरेगी।
जो महत्त्वकांक्षाओ को,
तो नहीं;
अपितु सुकुन देगी,
आत्मा को,
अपनी लेख की
पवित्रता से,
लिख के देखो।
#RR #
ख्याति










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