💚ख़्वाब💚 आधे अधूरे हीं सही,
मैं जीना चाहता हूं...
की,,,
💚ख़्वाब💚 मेरे आधे अधूरे हीं सही,
मैं जीना चाहता हूं...
हाथों की लकीरें भी मैं,
तेरे वास्ते इकठ्ठा सीना चाहता हूं...
पलकें झपकना भूल जाए अगर एक दफा देख लूं तुझे,
ये कैसा "प्यार" है जिसमे मैं आँखें खोलके सोना चाहता हूं...
और बावजूद मेरे अंजाम-ए-सफ़र
ना हो सकी "तुम" मेरी जानिब,,,
मैं तो फिर भी दुनियां की,
सबसे अच्छी मोहब्बत "तुम्हें" देना चाहता हूं...!!
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