एक कुर्सी की लड़ाई में,
ना जाने कितनी अर्थियां उठेगी,
जब खत्म होगा खेल चुनाव का
और मुर्दा घर में तुम ,
एक संख्या बनकर रह जाओगे,
तब ये नेता तुम्हें दोषी ठहरा देंगे (१)
अपनी प्रतिभा को बढ़ाने में,
ना जाने कितनी भीड़ बढ़ेगी,
जब खत्म होगा खेल चुनाव का
और अस्पताल में तुम,
एक बिस्तर के लिए तड़पोगे,
तब ये नेता तुम्हें दोषी ठहरा देंगे (२)
सत्ता की इस दौड़ में,
ना जाने कितने परिवार टूटेंगे,
जब खत्म होगा खेल चुनाव का
और वजह जब तुम
इन जानहानि की पूछोगे,
तब ये नेता तुम्हें दोषी ठहरा देंगे (३)
अभी भी वक्त है संभल जाओ मित्रो,
जीत जाएगा कुर्सी कोई,
जीत जाएगा राज्य कोई,
कौन लेगा ज़िम्मेदारी उस जनता की
हार गए जो सांसे अपनी? (४)
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