बनारसीपान हैं बनारस कि शान नही उगता हैं बनारस में पान फिर भी दुनिया में अव्वल नाम जितना प्यार पान खाने से हैं उतना ही प्यार पान 'कमाने' से हैं। जैसे भिन्न-भिन्न प्रकार के पान वैसे भिन्न-भिन्न खाने कि शैली किसी को भोजन बाद पसंद किसी को सुबह नास्ते में पसंद कोई पान गाल में दबाकर काम करता कोई खाकर लिखने बैठ जाता हैं। बनारस मे पान खाया नही जाता इसे मुह में धीरे-धीरे घोला जाता हैं। संस्कृति अलग हैं पान अलग हैं पीकदान पूरे भारत में सिर्फ सड़क हैं।
कंधो में दम और बाजुओं में ताकत। चहरे में नूर और चरित्र में सदाकत। आँखो में प्यार और दिल में इबादत। सबको खुश रखने की आपकी ये आदत । उम्र लगे मेरी आपको और कम ना हो आपकी शान-ए-शौकत।