वोह तेरी झुकी सी नजर
तेरे चेहरे की गुलाबी सी चमक
अनजाना सा आकर्षण
बांधे रखता है मुझे
मीठी सी कशिश रहती है
जब थोड़ा सा बदलाव लाती हो बिंदी में
बालों में मोती टपकते हैं जब भीगे बालों से
महकती हो जैसे मृगकस्तूरी
थोड़ी बिखरी बिखरी सी चली आती हो गली में सब्ज़ी लेने
जैसे बिखरे खूबसूरत बादल
पवित्र देवी सी लगती हो जब पल्लू ओढ़े मंदिर जाती हो
कहना चाहूंगा तुम से कभी
फबती है तुम पर लाल साड़ी भी
पर शायद तुम बुरा मान जाओ
इस लिए दूर से देख लेता हूं
मैं तुम्हें नहीं
तुम में रोज के बदलाव देखता हूं
तुम्हारा और मेरा कोई रिश्ता नहीं
परन्तु है भी,
एहसास का जैसे प्रकृति के बदलाव का और मेरा
Shomita
-