QUOTES ON #OLDPOEM

#oldpoem quotes

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मैं जो चला था घर से
तुमने पोटली में एक
ज़रा सा कुछ दिया था
कहा- "जब भूख लगे तो खा लेना"

वो पोटली अब भी
यूँ ही पड़ी है-
तुमसे दूर हूँ ना माँ
भूख नहीं लगती

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18 JUL 2018 AT 21:05



मैंने जब अपनी पहली नज़्म लिखी थी
अपनी बड़ी-बड़ी सी आँखों को
कैसे तुमने और भी बड़ा करके तब
देखा था मुझको!

अब तो मेरी नज्में बाज़ारों में बिकती हैं
दाम भी अच्छे लगते हैं
और तारीफें भी मिलती हैं
और जब कोई पढ़ते-पढ़ते
आंसू एक गिराता है
झाँक के अपनी नज़्म से तब ये देख लिया करता हूँ मैं-
कहीं ये आँखें वही तो नहीं !

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14 SEP 2019 AT 22:50

"FRIENDSHIP AND LOVE"

•//read caption//•

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20 JAN 2022 AT 11:00

Those cheesy bites
That romance
Those lovely sights
That dance
That rising sun
And your glance
Those cozy lips
Worth a chance

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15 FEB 2018 AT 13:04

वो सात समंदर पार का नज़ारा था,
आम दिनों सा उस दिन भी रवि ने पुकारा था,
जब प्रातः आठ बजे एक शांति सी छाई थी,
जो आने वाले तूफान की करती अगवाई थी।

अचानक ही दो विमानों का इमारतों से टकराना,
क्षणभर मे गगनचुंबी अट्टालिकाओं का अस्तित्व,
मिटाकर खुद पर इतना इतराना,
जैसे पूनम की रात का,अमावस मे बदल जाना।

ये सब रूप है,अहिंसा का अपवाद
जिसने विश्व का गर्व है छीना,
वो था आतंकवाद,
इसका कोई ना भाई,ना सखा
मासूमो को बंदूक की नोक पर रखा,
भारत से लेकर अमरीका परेशान है
मानव जाति के माथे पर कलंक विद्यमान है,
गलती किसकी पता नही,मगर हर बार मरता इमान है।

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5 MAY 2021 AT 7:39

ખુશનુમા સવારના બે ચાર વાક્ય કહી દવ
ચાલો થોડી જીવન જીવવાની રીત કહી દવ

ઊઠો જ્યારે તમે ત્યારે હથેળીના દર્શન કરી લો
હથેળી વચ્ચે છે ગોવિંદ એવું યાદ કરાવી દઉં

ઉપાડ્યો ભાર મારો , ને આજીવન પર્યત કંઈ ન માગ્યું
જન્મ્યો આ માતૃભૂમિ એ ધરતી,સવારે તને મસ્તક નમાવી દઉં

ઊગતો સૂરજ તેજ પાથરતો ,વંદન તુજને મારા
નિસ્વાર્થ વૃત્તિ તારી જોઈ હું મારામાં ફેલાવી દઉં

બદનામ યાદ કરે રોજ સવાર,બપોર ને સાંજ
જીવન જીવવું એટલું કે પ્રભુ તુજને ગમાડી દઉં

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8 MAR 2019 AT 13:30

Goddesses and epiphanies



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17 APR 2018 AT 18:14

फर्श ही आंसू सोख ले अब मेरे ,
बहाने की हिम्मत नहीं ,
किसी के पोंछने की उम्मीद नहीं |
आंसू बेवक़्त बहते है मेरे ,
बेवजह बिलकुल नहीं
भले ही वजह अल्फ़ाज़ में बसते नहीं
न बरसते है स्याहियों में
ना गुस्सा बिखरता है
ना बिखेरने देता है
बंध ही रख ले तो बेहतर है
हवायें भी कुछ कुरेद कर कहती है हँसने को,
और मैं पागल ,
मुस्कान छोड़ती कहाँ लबों को मेरे ,
जो कहना चाहती हूं उससे लाती कहा जुबां तक ,
अंजान देश में आकर अपनी जुबां याद भी कहा ,
ज़ौक़ को भी अपनी जला जो दिया है अब ।

हर बात के साज़ के पीछे भागती रही ,
खुद का मतलब
हवाओ को सौंप आयी।

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