"गुजर गया मक्खन का दौर, मशीनों में दही देखता हूं। खत्म कहां जिजीविषा मेरी,लकड़ियों पे हाथ सेकता हूं। मौकापरस्त कहां मै, मेहनत ही बेचता हूं। कद्र कला की नहीं, तभी तो सरेराह बैठता हूं...।" #क्या_साहेब...
बुढ़ापे में भी चल रहा हैं वो बुढ़ापे तक चलकर रोज घर बदलता है वो अपने घर से निकलकर बड़े प्यार से बँटवारा कर दिया बेटों ने उसका हो गया वो अवारा सा अपने ही घर में टहलकर
अरे बेटे,पहली मोहब्बत कभी भुलाई नही जाती,, पहली मोहब्बत ,,,,कभी भुलाई नही जाती। दाँत नमक वाले पेस्ट से साफ करियो, क्योकि बुढ़ापे में नकली दांतो से रोटी, ठीक से चबायीं नही जाती।।👴👴😁😁😅😅
पेड़ का तना क्या गया, डालें तो टूटना ही था, चार दिन में, पत्तियों नें भी साथ छोड़ दिया। पर आज भी जड़, भोजन के लिए, डालों,पत्तियों की नहीं, तने की आश... में है। अगर मैं, उसके पास से गुजरता हूँ, तो अक्सर वो मुझसे पूछती है, मेरा तना कब आएगा...? मैं समझ ही नहीं पाता क्या कहूँ...!
You may be growing old with Every passing day, But those hands won't ever fall, While protecting me. Firm faith lies in your eyes, Whenever you smile. You know, You aren't much, But More than enough for me !
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