एक जंगल में एक शेर हुआ करता था. जंगल में लोकतंत्र था. जंगल के अन्य जानवर बरसों से वोट देकर उसी शेर के परिवार के सदस्य को राजा चुनते थे. इस प्रकार वो भी राजा था. चूँकि लोकतंत्र में सबको बराबरी का हक होता है, हर जानवर किसी भी जानवर को मार के खा सकता था. गीदड़ चाहे तो हाथी को मार के खा ले और बिल्ली चाहे तो शेर को. कोई रोक-टोक नहीं थी. हाँ शेर चूँकि राजा था तो उसे शिकार करना नहीं पड़ता था, उसके लिए स्वयं किसी जानवर को बलि देनी पड़ती थी. और जैसा कि लोकतंत्र में होता है, सब स्वेच्छा से उस शेर के लिए बलि देते थे. किसी को बलि देने में कष्ट होता तो राजा के सैनिक बलि देने में उसकी मदद भी करते थे. लोकतंत्र था, सबकी बारी बंधी हुई थी...
(आगे caption में)
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