QUOTES ON #MYQUOTE

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10 NOV 2019 AT 21:01

तुम रख लो वो निशानी हूं मैं
समंदर का गहरा पानी हूं मैं...
ख्वाबों में खोई दीवानी हूं मैं
कविताओं की अपनी जुबानी हूं मैं
तुम कर दो वो नादानी हूं मैं...
मोहब्बत सी रूहानी हूं मैं
समझ से परे अनजानी हूं मैं...
कुछ पन्नों की कहानी हूं मैं

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22 MAY 2021 AT 22:21

जो हो मुमकिन तो लाशें छुपा दीजिए
वरना जाकर नदी में बहा दीजिए

कह दो सबसे ज़बानों पे ताला रहे
जो न मानें तो बल से दबा दीजिए

वेंटिलेटर चले ना चले छोड़िए
उसपे फ़ोटो बड़ी सी छपा दीजिए

जैसे ही ख़त्म हो ये कोरोना के दिन
हिंदू मुस्लिम को फिरसे लड़ा दीजिए

है इलेक्शन के पहले ज़रूरी बहुत
फिरसे नफ़रत दिलों में बसा दीजिए

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23 APR 2019 AT 8:20

Unless you have the courage to speak the truth,
lies will always win!

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20 MAR 2020 AT 13:52

इज़्ज़त का कुछ ख़ौफ़ नहीं था, ख़ौफ़ न था रुसवाई में
जाने कितनी हिम्मत थी उस बचपन की सच्चाई में !!

दादी नानी की बातें अब समझे हैं तब जाना है
जीवन भर का दर्द छुपा था बातों की गहराई में

आज तो अब्बू अम्मी हमको धूप नहीं लगने देते
जब ना होंगे कौन बुलाएगा अपनी परछाई में

तुमने अपना सारा जीवन ख़ुद-ग़र्ज़ी के नाम किया
अब बाक़ी जीवन काटोगे कमरे की तन्हाई में !!

आज उन्हीं बहनों ने हम को फिरसे राह दिखाई है
कल तक जो उलझी रहती थीं, कपड़ों की तुरपाई में

आख़िर क्यूँ ‘शमशेर’ के शेरों में दिलचसपी रखते हो?
जाने क्या मिलता है तुमको शेरों की गहराई में !!

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4 MAR 2020 AT 13:24

मैं फ़क़त लिखता रहा गर मुल्क के हालात पर
तो ग़ज़ल बन्ने से पहले, मर्सिया हो जाऊँगा!

मार कर तुम बेगुनाहों को बचोगे कब तलक ?
वक़्त हूँ मैं, ज़ख़्म बन कर फिर हरा हो जाऊँगा

میں فقط لکھتا رہا گر ملک کے حالات پر
تو غزل بننے سے پہلے مرثیہ ہو جاؤں گا

مار کر تم بےگناہوں کو بچوگے کب تلک
وقت ہوں میں،زخم بن کر پھر ہرا ہو جاؤں گا

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31 MAR 2020 AT 21:36

चलो इस बार मिल जाएँ, जुदाई अब नहीं होगी
मिरे दिल से मुहब्बत की रिहाई अब नहीं होगी

वहाँ परदेस में तनहा बहुत पैसे कमाते थे
मगर हम से वहाँ तनहा कमाई अब नहीं होगी

गई जब नौकरी तब आँख खोली अंध-भक्ति से
कहा हमसे हुकूमत की बड़ाई अब नहीं होगी!

ज़बाँ जब तक सलामत है, मैं सच्ची बात बोलूँगा
डरा कर तुम ये मत समझो, बुराई अब नहीं होगी!

जहेज़ों के पुजारी हो, तुम्हें लड़की से क्या लेना ?!
लिफ़ाफ़े ले के चल दो, मुँह-दिखाई अब नहीं होगी

मिरे अब्बू को लोगों ने यहाँ ज़िंदा जला डाला
मुझे रोटी कमाना है, पढ़ाई अब नहीं होगी!!

वबा ऐसी चली शमशेर, सब को एक कर डाला
धरम के नाम पर शायद छटाई अब नहीं होगी!

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13 MAR 2020 AT 13:54

सुनो यारो, ख़ताओं को मिरी पहचान रहने दो!
फ़रिश्ते तुम बनो, मुझको फ़क़त इंसान रहने दो!

ये उम्मीदें हमारी हमको अक्सर दुख हि देती हैं!
भुलाना सीख लो, रिश्तों में अपनी जान रहने दो

कभी जो ज़िंदगी के फ़ैसलों में मुश्किलें आएँ
तो हर लमहे नसीहत के लिए कूरआन रहने दो

ख़ुदी अब भी सलामत है, इरादे अब भी पुख़्ता हैं
मैं लड़ सकता हूँ तनहा, आप ये अहसान रहने दो

ये दुनिया चार दिन की है, यहाँ किस बात से डरना
भले सब कुछ लूटा दो, क़ल्ब में ईमान रहने दो!

किताबों से न सीखो गे, ग़रीबी जो सिखाएगी
ग़रीबों से भी अपनी थोड़ी सी पहचान रहने दो

वही यादें, वही बातें, वही ‘शमशेर’ की ग़ज़लें...
ये दिल ऐसे ही अच्छा है इसे वीरान रहने दो!!

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18 FEB 2020 AT 17:22

तूने सोचा था कि मर जाऊँगा तुझको खो कर
इतना मुश्किल तो नहीं तुझ से किनारा करना

تُو نے سوچا تھا کہ مر جاؤں گا تجھکو کھو کر
اتنا مشکل تو نہیں تجھ سے کنارہ کرنا

हम तेरे बाद भी खुश हैं तो ताज्जुब कैसा?
हमने सीखा हि नहीं तुझ पे सहारा करना

ہم ترے بعد بھی خوش ہیں تو تعجب کیسا
ہم نےسیکھا ہی نہیں تجھ پہ سہارا کرنا

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2 APR 2020 AT 21:48

आप को भी लोग बद-अख़लाक़ ना कह दें कहीं
हम बुरे लोगों से इतना वास्ता अच्छा नहीं

छोड़ कर माँ-बाप को, तुम जा रहे हो पर सुनो
जो सभी से दूर करदे, रास्ता अच्छा नहीं!

آپ کو بھی لوگ بد اخلاق نہ کہہ دیں کہیں
ہم بُرے لوگوں سے اتنا واسطہ اچھا نہیں

چھوڑ کر ماں باپ کو تم جا رہے ہو پر سُنو
جو سبھی سے دور کردے راستہ اچھا نہیں

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17 SEP 2019 AT 17:55

तेरे मेरे दरमियाँ थी जो वो घर की बात थी
हो गया शामिल ज़माना फिर तमाशा हो गया

تیرے میرے درمیاں تھی جو وہ گھر کی بات تھی
ہو گیا شامل زمانہ پھر تماشہ ہو گیا





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